चालाक खरगोश और शेर
कहानी:
बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक बहुत ही क्रूर शेर रहता था। वह रोज़ एक जानवर को मारकर खा जाता और धीरे-धीरे जंगल के सारे जानवर डरने लगे। तब जानवरों ने मिलकर शेर से एक समझौता किया – “हर दिन हम खुद एक जानवर तुम्हारे पास भेज देंगे, ताकि तुम खुद शिकार न करो।”
शेर मान गया। अब रोज़ एक जानवर उसकी गुफा में भेजा जाने लगा।
एक दिन खरगोश की बारी आई। वह बहुत ही बुद्धिमान था। उसने देर से शेर के पास जाना तय किया। जब वह बहुत देर से पहुँचा, तो शेर गुस्से में दहाड़ने लगा – “तुम इतनी देर से क्यों आए?”
खरगोश ने चालाकी से जवाब दिया – “महाराज, मैं तो समय पर ही आ रहा था, लेकिन रास्ते में एक और शेर मिला। उसने कहा कि वह असली जंगल का राजा है, और मुझे जबरदस्ती पकड़कर अपनी गुफा में ले गया।”
शेर को यह सुनते ही बहुत गुस्सा आया। उसने कहा – “मुझे उस शेर के पास ले चलो!”
खरगोश उसे एक कुएं के पास ले गया और उसमें झाँककर कहा – “महाराज, वह शेर तो इसी कुएं में रहता है।”
शेर ने कुएं में झाँका और अपनी ही परछाईं देखी। उसे लगा कि दूसरा शेर उसे घूर रहा है। वह गुस्से में कूद पड़ा… और डूबकर मर गया।
नैतिक शिक्षा:
"बुद्धिमानी और चतुराई से बड़ी से बड़ी समस्या हल की जा सकती है।"
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