The Famous Story From The House Of Panchatantra:The Farmer And The Snake[पंचतंत्र की कहानी: किसान और सांप]
साँप और किसान: एक प्रसिद्ध शिक्षाप्रद कहानी
कहानी:बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक बहुत ही दयालु किसान रहता था। वह सभी जीव-जंतुओं के प्रति प्रेम और दया का भाव रखता था।
सर्दियों के दिन थे और कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। एक शाम, किसान अपने खेतों से काम करके घर लौट रहा था। रास्ते में बर्फीली ज़मीन पर उसे एक साँप ठंड से अकड़ा हुआ पड़ा मिला। ठंड के कारण वह लगभग बेजान हो चुका था और मरने की कगार पर था।
किसान का कोमल मन साँप की यह दशा देखकर पसीज गया। उसने सोचा, "बेचारा जीव! ठंड के मारे इसकी जान निकल रही है। मुझे इसे बचाना चाहिए।"
यह सोचकर किसान ने उस साँप को उठाया और उसे एक टोकरी में रखकर अपने घर ले आया। घर पहुँचकर, उसने साँप को गरमाहट देने के लिए जलते हुए चूल्हे के पास रख दिया। किसान के बच्चे भी कौतूहल से उस साँप को देखने लगे।
आग की गरमी पाकर साँप के शरीर की अकड़न दूर होने लगी। धीरे-धीरे उसमें जान वापस आ गई और वह हिलने-डुलने लगा। किसान और उसके बच्चे यह देखकर बहुत खुश हुए कि उनकी मेहनत सफल हुई और साँप की जान बच गई।
लेकिन, जैसे ही साँप पूरी तरह से होश में आया, उसने अपनी स्वाभाविक प्रकृति दिखाई। वह ज़ोर-ज़ोर से फुफकारने लगा और अपना फन फैलाकर किसान के बच्चों की ओर काटने के लिए दौड़ा।
यह भयानक दृश्य देखकर किसान तुरंत सतर्क हो गया। उसे एक पल में अपनी भयंकर भूल का एहसास हो गया। वह समझ गया कि उसने एक दुष्ट और विषैले जीव की जान बचाकर गलती की है, क्योंकि दुष्ट का स्वभाव कभी नहीं बदलता, चाहे आप उसके साथ कितनी भी भलाई कर लें।
इससे पहले कि साँप किसी को कोई नुकसान पहुँचाता, किसान ने पास में रखी एक लाठी उठाई और एक ही झटके में साँप का सिर कुचल दिया। साँप वहीं मर गया।
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अपने दुखी बच्चों को समझाते हुए किसान ने कहा, "मैंने इसे बचाया, लेकिन यह हमें ही मारना चाहता था। इससे हमें यह सबक मिलता है कि हमें दया दिखानी चाहिए, लेकिन किसी दुष्ट और बुरे स्वभाव वाले जीव पर कभी नहीं।"
कहानी से सीख (Moral of the Story)
- दुष्ट का स्वभाव कभी नहीं बदलता: एक बुरे या दुष्ट व्यक्ति की आप कितनी भी मदद कर लें, मौका मिलते ही वह अपनी असलियत दिखा ही देता है।
- दया का पात्र पहचानें: दया और मदद हमेशा सुपात्र यानी सही व्यक्ति को ही देनी चाहिए। गलत व्यक्ति की मदद करना खुद के लिए खतरा मोल लेना है।
- आँख बंद करके भरोसा न करें: किसी की बाहरी दशा देखकर उस पर आँख बंद करके भरोसा करना बड़ी मूर्खता हो सकती है।