बंदर और टोपीवाला
कहानी:
एक बार की बात है, एक टोपीवाला गाँव-गाँव घूमकर टोपियाँ बेचता था। एक दिन वह जंगल के रास्ते से जा रहा था। थक जाने के कारण वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा।
उसके पास एक टोकरी थी, जिसमें बहुत सारी रंग-बिरंगी टोपियाँ थीं। थोड़ी देर में वह गहरी नींद में सो गया।
वहाँ पेड़ पर बहुत सारे शरारती बंदर रहते थे। उन्होंने टोपीवाले की टोकरी से सारी टोपियाँ निकाल लीं और खुद पहन लीं। जब टोपीवाला जागा तो उसने देखा कि उसकी टोपियाँ गायब हैं! वह बहुत परेशान हो गया।
तभी उसने देखा कि सारे बंदर पेड़ पर उसकी टोपियाँ पहनकर बैठे हैं और उसकी नकल कर रहे हैं। वह सोचने लगा कि अब क्या किया जाए। अचानक उसके दिमाग में एक तरकीब आई।
उसने अपनी टोपी उतारकर ज़मीन पर फेंकी। यह देख बंदरों ने भी वैसा ही किया – उन्होंने भी टोपियाँ उतारकर ज़मीन पर फेंक दीं।
टोपीवाले ने तुरंत सारी टोपियाँ समेटीं और खुशी-खुशी आगे बढ़ गया।
नैतिक शिक्षा:
"समस्याओं का हल बुद्धिमानी से सोचने पर ही निकलता है।"
घबराने से कुछ नहीं होता – समझदारी से काम लेना चाहिए।