एक दिन जंगल में तीन जंगली भैंसे भोजन की तलाश में घूम रहे थे। घूमते घूमते वे उस स्थान पर पहुंचे, जहां जिराफ एक ऊंचे पेड़ के पत्ते खा रहा था। उनका मन भी पेड़ के पत्ते खाने का हुआ, लेकिन उनकी ऊंचाई जिराफ जैसी नहीं थी, न ही उनकी गर्दन लंबी थी। इसलिए वे जिराफ के पास जाकर बोले, "जिराफ भाई ! थोड़े पत्ते हमें भी दे दो। हम भी ज़रा इन पत्तों को चख कर देखें।"
घमंडी जिराफ उन्हें दुत्कारते हुए बोला, "तुम्हें पेड़ के पत्ते खाने हैं, तो खुद तोड़ लो। मैं तुम्हारा नौकर नहीं हूं, जो तुम्हें पेड़ से पत्ते तोड़ तोड़ कर खिलाऊं।"
जिराफ की बात सुनकर जंगली भैसों को बड़ा बुरा लगा। वे जिराफ से बोले, "हम तो तुमसे निवेदन कर रहे थे। जंगल के जानवरों को मिल जुलकर रहना चाहिए और एक दूसरे की मदद करनी चाहिए।"
"ज्ञान मत बघारो! चलो भागो यहां से।" जिराफ ने गुस्से में कहा और पेड़ के पत्ते खाने लगा।
तीनों जंगली भैंसे नीचे मैदान की घास चरने लगे।
तभी अचानक वहां एक शेर आ गया। वह दिन भर से भूखा था और बड़े शिकार की तलाश में था। उसने जब जिराफ को देखा, तो सोचा, "आज इस जिराफ का ही शिकार करूंगा और पेट भरकर इसका मांस खाऊंगा।"
वह जिराफ की तरफ बढ़ने लगा। पास की घास चर रहे जंगली भैसों ने जब शेर को देखा, तो भागकर एक गुफा में छुप गए। पेड़ के पत्ते खाते जिराफ का ध्यान शेर की तरफ नहीं था।
जब शेर जिराफ के पास पहुंचा और जोर से दहाड़ा, तब जिराफ ने उसकी तरफ देखा। डर के मारे उसकी घिग्घी बंध गई। वह मदद की गुहार लगाने लगा। पास ही गुफा में छुपे जंगली भैसों ने उसकी गुहार सुनी।
एक भैंसा बोला, "इस घमंडी जिराफ का यही अंजाम होना चाहिए।"
दूसरा भैंसा बोला, "बिल्कुल सही! इसने हमें खाने को पत्ते नहीं दिए थे।"
उनकी बात सुनकर तीसरा भैंसा बोला, "नहीं भाइयों! हमें उसकी सहायता करनी चाहिए। हम सब मिलजुलकर रहेंगे, तभी किसी बड़ी मुसीबत का सामना कर पाएंगे।"
दोनों भैंसों को तीसरे भैंसे की बात समझ में आ गई। तीनों ने जिराफ की सहायता करने का फैसला किया और गुफा से बाहर निकलकर शेर की तरफ बढ़ने लगे।
शेर के पास पहुंचकर उन्होंने उसे ललकारा, "हिम्मत है, तो हम तीनों का सामना कर।"
सामने तीन बलशाली जंगली भैंसे देखकर शेर डर गया और वहां से भाग गया। जिराफ की जान में जान आई। उसका घमंड टूट चुका था। वह अपने व्यवहार पर पछताने लगा और भैसों से क्षमा मांगने लगा।
भैंसों ने उसे क्षमा कर दिया। उस दिन के बाद से वे सब मिलजुल कर रहने लगे।
सीख
1. घमंड नहीं करना चाहिए।
2. सदा मिल जुलकर रहना चाहिए।