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The Clever Fox and the Foolish Goat-चतुर लोमड़ी और मूर्ख बकरी


चतुर लोमड़ी और मूर्ख बकरी-The Clever Fox and the Foolish Goat

The Clever Fox and the Foolish Goat
The Clever Fox and the Foolish Goat

गर्मियों के दिन थे। जंगल में चारों ओर सूखा पड़ा था। नदी और तालाब सूख चुके थे, और जानवरों को पानी की बहुत कमी हो रही थी।
एक दिन, एक लोमड़ी बहुत तेज़ प्यास के कारण जंगल में इधर-उधर पानी की तलाश कर रही थी। वह एक टीले के पास पहुँची, जहाँ झाड़ियों के पीछे एक पुराना कुआँ था। लोमड़ी ने सोचा,
“शायद इसमें कुछ पानी हो!”
वह झांक कर देखने लगी। हाँ, कुएं में थोड़ा-सा पानी था। प्यास के मारे उसने बिना सोचे-समझे छलांग लगा दी और कुएं में उतर गई। पानी तो पी लिया, पर अब उसे समझ आया कि वह बाहर कैसे निकले?
लोमड़ी ने इधर-उधर देखा, लेकिन कुएं से बाहर जाने का कोई रास्ता न था। वह परेशान होकर सोचने लगी,
"अब क्या करूँ? यहाँ तो कोई भी मेरी मदद करने नहीं आएगा!"
कुछ देर बाद एक बकरी पास से गुजर रही थी। उसने कुएं में झांककर देखा और हैरानी से पूछा,
“अरे लोमड़ी बहन! तुम यहां क्या कर रही हो?”
लोमड़ी को एक चाल सूझी। वह झूठी मुस्कान के साथ बोली,
“अरे बहन बकरी! मैं तो यहां मज़े कर रही हूं। देखो, इस कुएं का पानी कितना ठंडा और मीठा है! इतनी गर्मी में इससे अच्छा और क्या हो सकता है? मैं तो कहती हूं, तुम भी आ जाओ, खूब आनंद आएगा।”
बकरी थोड़ी संदेह में थी, पर जब उसने देखा कि लोमड़ी आराम से बैठी है और पानी पी रही है, तो वह भी लालच में आ गई।
“हां, सही कह रही हो, मुझे भी बहुत प्यास लगी है।”
यह कहकर वह बिना सोचे-समझे कूद गई कुएं में।
अब दोनों कुएं में थीं। बकरी ने पानी पिया और फिर चिंतित होकर बोली,
“अब हम बाहर कैसे निकलेंगे?”
लोमड़ी मुस्कराई। उसने कहा,
“बहन, चिंता मत करो। तुम अपने अगले पैरों को दीवार पर टिका कर खड़ी हो जाओ। मैं तुम्हारी पीठ पर चढ़कर बाहर निकल जाऊंगी, फिर तुम्हें ऊपर से खींच लूंगी।”
बकरी भोली थी। उसने वैसा ही किया। लोमड़ी फुर्ती से उसकी पीठ पर चढ़ी और एक छलांग में कुएं के बाहर निकल आई। बाहर आते ही वह ज़ोर से हँसने लगी।
बकरी ने ऊपर देखकर कहा,
“अब मेरी बारी है, मुझे भी बाहर निकालो ना!”
लोमड़ी ने व्यंग्य से हँसते हुए कहा,
“ओ मूर्ख बकरी! अगर तुम्हारे पास अकल होती, तो तुम यह सोचती कि कुएं में कूदने से पहले बाहर निकलने का रास्ता क्या है। अब भुगतो अपनी बेवकूफ़ी का फल!”
इतना कहकर लोमड़ी वहां से चली गई, और बकरी कुएं में फँसी रह गई।

नैतिक शिक्षा (Moral):
बिना सोचे-समझे कोई भी काम नहीं करना चाहिए। जल्दबाज़ी हमेशा हानिकारक होती है।

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