रंगा हुआ सियार | Panchatantra Story The Blue Jackal
शीर्षक: ढोंग की पोल खुल ही जाती है
एक जंगल में एक सियार रहता था। एक दिन वह भोजन की तलाश में भटकते-भटकते पास के एक गाँव में पहुँच गया। गाँव में उसे कुत्तों के एक झुंड ने देख लिया और वे उसे दौड़ाने लगे। अपनी जान बचाने के लिए सियार बेतहाशा भागा और एक धोबी के घर में घुस गया।
धोबी के घर में एक बड़ा सा ड्रम रखा था, जिसमें उसने कपड़े रंगने के लिए नीला रंग घोलकर रखा हुआ था। सियार डर के मारे उसी ड्रम में कूद गया। कुत्तों का झुंड उसे ढूंढ नहीं पाया और कुछ देर भौंककर वहाँ से चला गया।
जब सियार को यकीन हो गया कि खतरा टल गया है, तो वह ड्रम से बाहर निकला। बाहर निकलकर उसने देखा कि उसका पूरा शरीर नीला हो गया है। वह खुद को पहचान नहीं पा रहा था।
जब वह नीले रंग में रंगा हुआ जंगल वापस लौटा, तो सभी जानवर उसे देखकर डर गए। उन्होंने आज तक ऐसा विचित्र और नीले रंग का जीव नहीं देखा था। शेर, बाघ, हाथी, सभी उसे देखकर घबरा गए।
सियार समझ गया कि यह अपनी धाक जमाने का अच्छा मौका है। वह एक ऊँची चट्टान पर चढ़ गया और गंभीर आवाज़ में बोला, "डरो मत, जंगल के वासियों! मुझे स्वयं ब्रह्मा ने बनाकर तुम्हें राजा के रूप में भेजा है। आज से मैं ही तुम्हारा राजा हूँ और मेरा नाम 'नीलांबर' है।"
सभी जानवर उसकी बातों में आ गए और उन्होंने उसे अपना राजा मान लिया। अब सियार का जीवन बड़े आराम से कटने लगा। शेर, बाघ और अन्य शक्तिशाली जानवर उसके लिए शिकार लाते और वह उन सब पर हुक्म चलाता। उसने अपनी सुरक्षा के लिए सियारों के झुंड को अपने राज्य से बाहर निकाल दिया, ताकि कोई उसे पहचान न ले।
एक दिन, जब 'नीलांबर' अपनी सभा में बैठा था, तभी पास के जंगल से सियारों के एक झुंड की 'हुआ-हुआ' की आवाज़ आई। वह आवाज़ सुनकर वह अपने असली स्वभाव को भूल गया। अपने भाइयों की आवाज़ सुनते ही वह भी अपना राजसी ढोंग भूलकर ज़ोर-ज़ोर से 'हुआ-हुआ' करके चिल्लाने लगा।
उसकी आवाज़ सुनते ही शेर, बाघ और अन्य जानवरों को समझते देर न लगी कि यह कोई दैवीय जीव नहीं, बल्कि एक रंगा हुआ सियार है जो उन्हें धोखा दे रहा था। वे सब गुस्से से भर गए और उन्होंने मिलकर उस ढोंगी सियार को वहीं मार डाला।
शिक्षा: आप झूठ बोलकर या ढोंग करके कुछ समय के लिए तो सम्मान पा सकते हैं, लेकिन सच्चाई एक न एक दिन सामने आ ही जाती है। अपनी असलियत को कभी नहीं छिपाना चाहिए।