चार मित्र और शिकारी | एक हिरण, कौआ, चूहा और कछुआ
शीर्षक: एकता में ही सच्ची शक्ति है
एक जंगल में चार गहरे दोस्त रहते थे - एक हिरण, एक कौआ, एक चूहा और एक कछुआ। उनकी दोस्ती की मिसालें दी जाती थीं। वे हर सुख-दुःख में एक-दूसरे का साथ देते थे।
एक दिन हिरण जंगल में घास चरते-चरते बहुत दूर निकल गया। वहाँ एक शिकारी ने उसे देख लिया और अपना जाल बिछाकर उसे पकड़ लिया। हिरण जाल में बुरी तरह फँस गया और अपनी जान बचाने के लिए छटपटाने लगा।
जब शाम तक हिरण वापस नहीं लौटा, तो उसके दोस्तों को चिंता होने लगी। कौए ने कहा, "मैं उड़कर चारों ओर देखता हूँ, शायद हिरण किसी मुश्किल में हो।"
कौआ उड़ते-उड़ते उस जगह पहुँचा जहाँ हिरण जाल में फँसा हुआ था। हिरण ने कौए को देखकर रोते हुए सारी बात बताई। कौए ने उसे ढाँढस बंधाया और कहा, "मित्र, चिंता मत करो। मैं अभी चूहे को लेकर आता हूँ। वह अपनी तेज़ दाँतों से इस जाल को काट देगा।"
कौआ तुरंत चूहे के पास पहुँचा और उसे अपनी पीठ पर बैठाकर ले आया। चूहे ने फुर्ती से अपने नुकीले दाँतों से जाल को काटना शुरू कर दिया। इस बीच, कछुआ भी धीरे-धीरे रेंगता हुआ वहाँ पहुँच गया।
हिरण ने कछुए को देखकर कहा, "मित्र, तुम्हें यहाँ आने की क्या ज़रूरत थी? शिकारी किसी भी समय आ सकता है और तुम अपनी धीमी चाल के कारण भाग भी नहीं पाओगे।"
तभी शिकारी आता हुआ दिखाई दिया। चूहे ने जाल काट दिया था और हिरण आज़ाद हो गया। कौआ उड़कर पेड़ पर बैठ गया, हिरण तेज़ी से झाड़ियों में छिप गया और चूहा पास के एक बिल में घुस गया।
लेकिन कछुआ अपनी धीमी चाल के कारण कहीं छिप न सका। शिकारी ने जब देखा कि हिरण भाग गया है, तो उसे बहुत गुस्सा आया। उसकी नज़र कछुए पर पड़ी। उसने सोचा, "चलो हिरण नहीं मिला तो यह कछुआ ही सही। आज इसी को घर ले जाऊँगा।" उसने कछुए को पकड़कर अपने थैले में बंद कर लिया।
अब तीनों दोस्त अपने मित्र कछुए के लिए बहुत चिंतित हो गए। उन्होंने उसे बचाने की एक योजना बनाई।
योजना के अनुसार, हिरण शिकारी के रास्ते में आगे जाकर लंगड़ाने का नाटक करते हुए चलने लगा। कौआ उसके ऊपर बैठकर उसकी आँख पर चोंच मारने का नाटक करने लगा। शिकारी ने जब एक लंगड़ाते हुए हिरण को देखा तो उसके मन में लालच आ गया। उसने सोचा, "यह तो आसानी से पकड़ा जाएगा।" उसने कछुए का थैला ज़मीन पर रखा और हिरण के पीछे भागने लगा।
जैसे ही शिकारी दूर गया, चूहे ने आकर थैले को काट दिया और कछुए को बाहर निकाल लिया। कछुआ तुरंत पास के तालाब में जाकर छिप गया।
शिकारी बहुत देर तक हिरण का पीछा करता रहा, लेकिन हिरण उसे और गहरे जंगल में ले जाकर आँखों से ओझल हो गया। थका-हारा शिकारी जब वापस लौटा तो देखा कि कछुए का थैला खाली पड़ा है। वह अपना सिर पीटकर रह गया और खाली हाथ घर लौट गया।
शाम को चारों दोस्त फिर से नदी किनारे मिले और अपनी एकता की शक्ति पर बहुत खुश हुए।
शिक्षा: सच्चे दोस्त हमारी सबसे बड़ी पूँजी होते हैं। यदि हम एक साथ मिलकर किसी मुसीबत का सामना करें, तो बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी आसानी से पार कर सकते हैं।