ब्राह्मण का सपना | Panchatantra Story Dream Of Brahmin
शीर्षक: ख्याली पुलाव पकाना
एक गाँव में एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण रहता था। वह भिक्षा मांगकर अपना गुज़ारा करता था। एक दिन उसे भिक्षा में एक बर्तन भरकर चावल का आटा (सत्तू) मिला। वह बहुत खुश हुआ और उस बर्तन को लेकर अपने घर आया।
उसने बर्तन को एक खूंटी पर टाँग दिया और उसके नीचे अपनी चारपाई बिछाकर लेट गया। लेटे-लेटे वह उस सत्तू के बर्तन को देखने लगा और सपने बुनने लगा।
उसने सोचा, "अगर देश में अकाल पड़ जाए, तो मैं इस सत्तू को बहुत ऊँचे दाम पर बेचूँगा। उन पैसों से मैं दो बकरियाँ खरीदूँगा। वे बकरियाँ बच्चे देंगी और जल्द ही मेरे पास बकरियों का एक बड़ा झुंड हो जाएगा।"
वह सपनों में खोया रहा, "फिर मैं सारी बकरियों को बेचकर कुछ गाय और भैंस खरीदूँगा। उनसे मुझे बहुत सारा दूध मिलेगा, जिसे बेचकर मैं और भी अमीर हो जाऊँगा। जब मेरे पास बहुत सारा पैसा हो जाएगा, तो मैं एक बड़ा सा घर बनाऊँगा।"
उसकी कल्पना और आगे बढ़ी, "एक अमीर सेठ अपनी सुंदर बेटी का विवाह मुझसे करवा देगा। हमारा एक बेटा होगा, जिसका नाम मैं 'सोमशर्मा' रखूँगा। जब वह घुटनों के बल चलेगा और मेरे पास आएगा, तो मैं उसे प्यार से पुकारूँगा।"
"लेकिन अगर वह मेरी बात नहीं सुनेगा और मेरी पत्नी उसे संभालने में व्यस्त होगी, तो मुझे गुस्सा आ जाएगा।" वह अपने सपने में इतना खो गया कि उसने सोचा, "तब मैं गुस्से में उठकर अपनी पत्नी को एक लात मारूँगा!"
यह सोचते ही, वह सपने में इतना मग्न था कि उसने सचमुच में हवा में ज़ोर से अपनी लात चला दी। उसकी लात सीधे ऊपर टंगे सत्तू के बर्तन पर लगी। बर्तन नीचे गिरकर टूट गया और सारा सत्तू ज़मीन पर बिखर गया।
आवाज़ सुनकर ब्राह्मण की नींद टूटी। उसने देखा कि उसका सारा सत्तू मिट्टी में मिल चुका है। उसके सारे सपने एक ही पल में चकनाचूर हो गए। वह अपनी मूर्खता पर सिर पकड़कर बैठ गया।
शिक्षा: हमें सिर्फ ख्याली पुलाव नहीं पकाने चाहिए। सफलता केवल सपने देखने से नहीं, बल्कि उन सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करने से मिलती है। काम करने से पहले ही उसके फल के बारे में बहुत अधिक सोचना मूर्खता है।